अच्छा लगेगा मुझे बताकर प्यारा लगे शायद आप को जानकार ...



Dec 22, 2009

HAZARIBAGH : Hazaron yaadon ka shahar !

I have also very fascinating experiences during the small period I spent at PTC Hazaribagh and Civil Court in the year 1999. The green surrounding of the town always attracted me. I used to up & down from Jhumari Telaiya, KODERMA; via bus ; crossing the famous Telaiya Dam ; and the green forests.
           My favorite destinations in the town were Cafetaria,Pagoda chowk,a bengali sweet shop at Jhanda Chowk etc. Ocassionally we used to go at the famous NATIONAL PARK. And during various visits at the National Park,WOW!!!!! one day we were succeded to make  DURSHAN of a Rabitttttttttt. The government should do something in this regard. There was one place of ancient importance in front or near about  the entrance of National Park; in palliated condition.
During that time I have came in contact with the local population there. Most of them were came from another places and settled there.This was happened not only in the town but in the surrounding rural areas too. And so the mixed cultural flavor was always present there.
                        Last time on 06th of October this year I visited HAZARIBAGH. The occasion was the birth of the first child of my brother-in-law; Bishmayji. Hazaribagh was changed very much and looked as racing towards modern urbanization, and leaving its green AURA behind.                                                

Dec 21, 2009

Vidhayak bivi sabji beche,!!!!

थोडा अटपटा लगता है पर है सौ फीसदी सच हजारीबाग के बडकागांव के तीन बार के विधायक हैं लोकनाथ महतो और चौथी बार जीत का खुट्टा गाड़ने को हडबडा रहे हैं .बताते हैं की इनकी धर्मपत्नी (हालाँकि ऐसी बीवी हो तभी धर्मपत्नी कही जा सकती है )शादी के बाद से ही लोकनाथ जी के घर का खेती बारी संभाले हुए हैं और सप्ताह दर सप्ताह सब्जिया बेच आती हैं ,भगवान् अक्ल दो उन विधायको को जो माल खाकर जेल गए हैं और वहां का आटा गीला कर रहे हैं .लोकनाथ जी को इसबार भी एक लाख ३७ हज़ार चुनाव लड़ने को दिए हैं ,कमाल है इश्वर तेरी लीला कोई यहाँ पैसा भी लेता है और अपने सौहर से लड़ता भी है .वह रे लोकनाथ ..

Deepak chaurasia Hazaribagh me


एक लाइव प्रोग्राम और यशवंत सिन्हा से इंटरव्यू करने आये दीपक चौरसिया जी और सारे तामझाम की व्यवस्था मुझे ही करनी थी स्टार का काम भी यहाँ से देखना होता है सो किया .शांत और न जाने क्यों संदेह की दृष्टी रखने वाले दीपक जी सबको अटपटे लगे पर जब प्रोग्राम शुरू होने के पहले स्थानीय समस्याओं और भागीदारी करने आये सज्जनों के बारे में मुझसे जिरह किया तो लगा क्यों ये दीपक रोज और दमकता जा रहा है ......

Dec 20, 2009

आइये हजारीबाग घूमते हैं

ये नज़ारे यहाँ आम हैं प्रकृति की अनोखी छटा हर ज़गह आपको दिखेगी .ग्लोबल वार्मिंग का असर यहाँ भी है इस कारन व अतावरण में तपिस थोड़ी बढ़ी है बोटम का शहर हजारीबाग वैसा तो नहीं रहा जैसा इसके नाम के सब्दार्थ हैं .हजारीबाग यानि हज़ार बागो का शहर ,

यहाँ सभ्यता पाषाण कालीन रही है और इसके सबूत हैं ये equinox पॉइंट जहाँ से आदिकाल में मानव यहाँ काल की गणना करता था ,ऐसे न जाने कितने ही धरोहर यहाँ संजोये गए हैं और लोगो की राह देख रहे हैं दो कारण से पहला तो इन्हें देख लोगो का भला हो और दूसरा जब लोग यहाँ आयेंगे तो सायद सरकार की निगाह इनपे पड़े और इनका भला हो जाये ,आखिर कबतक अपने बेनूरी पे ये आंसू बहेगी

ये हैं भगवन और खुदा के रखवाले



हजारीबाग में दंगो का पुराना इतिहास रहा है .मैंने पहली बार इसकी तपीस जानी जब मैं एक स्कुल में रखे पाक कुरान शरीफ को किसी तरह जल जाने से उन्माद भड़का था और उस खबर को मैं कवर करने गया था .किसी को ये मतलब नहीं था की आखिर ये जली कैसे या फिर जो लोग इससे आहत हैं उन्हें समझाया कैसे जाये .घंटे भर में लगा की सहर जल जायेगा .जितनी मुह उतनी बाते मैं जिस जगह से रिपोर्ट कर लौटा वहा के बारे में लोग मुझसे ज्यादा बता रहे थे .जात का रिपओर्टर हूँ सबकी बात सुनननी पड़ती है .हालाँकि मन में आ रहा था की की भद्दी सी गली (क............ना ) दूँ और कहू जब कुछ पता नहीं हो तो आग क्यों लगते हो .ऐसा ही दिनभर होता रहा लेकिन भला हो मेरे चैनेल वालो का जिन्होंने माज़रा समझा और इसपर कोई रिपोर्ट या टिकर नहीं चलाई हालाँकि अखबार वालो ने मिर्च लगाने में कोई कसर नहीं बाकि राखी थी राजनीति की बात करे तो बरकट्ठा में चुनाव बाकि था सो पूरा जोर था की कुछ फरिया लिया जाये कमोबेस सभी चाहते थे लेकिन इन (हरा........दो )की एक न चली लोग समझदार थे और बहके नहीं .मुझे तीन दिन भले ही इन्हें (भगवन और खुदा के रखवाले)गरियाने में बिता लेकिन इनके बहकावे में कोई नहीं आया सो मैं बड़ा खुश था ,अब जब भी मैं मंदिर या मस्जिद के सामने गुजरता हूँ और सर झुकता हूँ तो इश्वर के इस कृत से सर और उंचा उठ जाता है .आशा करता हूँ इश्वर कुछ लोगो के फायदे के लिए इतने सारे लोगो को नहीं बहकने देगा .......