ये नज़ारे यहाँ आम हैं प्रकृति की अनोखी छटा हर ज़गह आपको दिखेगी .ग्लोबल वार्मिंग का असर यहाँ भी है इस कारन व अतावरण में तपिस थोड़ी बढ़ी है बोटम का शहर हजारीबाग वैसा तो नहीं रहा जैसा इसके नाम के सब्दार्थ हैं .हजारीबाग यानि हज़ार बागो का शहर ,
यहाँ सभ्यता पाषाण कालीन रही है और इसके सबूत हैं ये equinox पॉइंट जहाँ से आदिकाल में मानव यहाँ काल की गणना करता था ,ऐसे न जाने कितने ही धरोहर यहाँ संजोये गए हैं और लोगो की राह देख रहे हैं दो कारण से पहला तो इन्हें देख लोगो का भला हो और दूसरा जब लोग यहाँ आयेंगे तो सायद सरकार की निगाह इनपे पड़े और इनका भला हो जाये ,आखिर कबतक अपने बेनूरी पे ये आंसू बहेगी
7 comments:
mere bachpan ka kuch waqt hazaribagh me bita hai. main tab kareeb 4-5 saalon ki thi. main kareeb 1990 ke aas-paas waha thi, mujhe jitna yaad hai hazaribagh ki greenary mujhe hamesha lubhati thi. khali lambe maidaan, dur dur tak koi ghar nahi, toot ke ped, abrak se chamakte raste, rang birange phoolon wali jhadiyaan..
mai 92 me waha se patna ki bheed me aa gayi, uske baad kabhi jane ka mouka nahi mila..
par ek baar wapas jana chahti hun,, pata nahi kitna kuch badal gaya hoga..
Sundar chitron ke saath sundar rachana..swagat hai!
Waah!
Swagat hai!
सुन्दर ख़याल
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी टिप्पणियां दें
कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
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इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये
अच्छी जानकारी दी है
aapne jo utsahvardhan kiya hai iske liye koti koti dhanyavad ,yakin maniye dara huaa tha ki pryas vivechna na lage aapne saraha iskeliye dil se sukriya.....
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