भारतीय फिल्म कि बात करें या भारतीय साहित्य कि यहाँ नारी को कई बार भयानक बदला लेने वाली चरित्र के रूप में चित्रित किया गया है ,शाहित्य कि दुरूह रचना या फ़िल्मी फंतासी से दूर हजारीबाग में एक ऐसी नारी है जो द्वेष और बदले कि आग में ऐसे जल रही है जिसकी आंच ने कई दिलफेंक को मौत के दरवाजे पर ला दिया आज भी अपने नये शिकार कि तलाश ये बड़े आराम से कर रही है ,२२ साल कि इस लड़की ने कभी अपने दिल में अरमान सजाए थे ,सपनो और कल्पनाओ के हिंडोलों में खूब झूमी नाची थी लेकिन २ साल पहले जब इसके सपने टूटे तो इसने अपने गुनाहगारो को सबक सिखाने कि सोची और फिर फैला दिया एड्स का ज़हर ,तीन साल पहले जब इसकी सादी हुई तो लड़के ने इसे बताया नही कि वह एह आई वी पोजिटिव है शासुराल में आर्मानो के साथ आई इस लड़की को जबतक जानकारी हुई तबतक देर हो चुकी थी ,पति तो मर गया इसे दे गया ऐसी बीमारी जो लाइलाज थी ,जिंदगी से समझौता कर चुकी इस लड़की से इसके रूप यौवन ने मुह नहीं मोड़ा था कई मनचले इसके आगे पीछे भी मंडराने लगे और फिर सुरु हुआ रूप के जाल में फस कर एड्स बांटने का खेल जो अब तक जारी है -
यह तो एक महिला कि कहानी है ऐसे ना जाने कितनी ही महिला है जो दुसरे के किये कि सजा भुगत रही है ,मौन रहकर कुंठा के साथ ,लेकिन जब व्यथित मन ,समाज से बहिस्कृत होने का डर ,लोक लाज से अन्दर ही अन्दर घुटती ऐसे किसी अबला पर भी दिलफेंक मनचले अपनी वासना पूर्ति चाहेंगे तो बदले में कोई इन्हें मौत कि सौगात दे तो क्या बुरा है ,हालांकि यह अच्छा है या बुरा यह समाजशास्त्रीयो के लिए शोध का विषय हो सकता है-
अच्छा लगेगा मुझे बताकर प्यारा लगे शायद आप को जानकार ...
Aug 17, 2010
Aug 3, 2010
चोरी और सीनाजोरी ,ये हैं झारखण्ड के विधायक
आईबीएन7 और कोबरा पोस्ट द्वारा राज्यसभा चुनाव में वोट देने के लिए पैसे पर बिकने वाले विधायकों को स्टिंग ऑपरेशन में दिखाए जाने के बाद राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कार्रवाई की बात कही है। वहीं चुनाव आयोग की आज फुल बेंच इस मसले पर बैठक करने जा रही है। आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि वो इस मामले को संसद में उठाएंगे। जेबीएम ने इस स्टिंग ऑपरेशन में नाम आने पर अपने विधायक चंद्रिका महतो को शो काउज नोटिस जारी किया है।
इस स्टिंग ऑपरेशन में दिखाया गया है कि कैसे कांग्रेस, बीजेपी और जेएमएम के विधायक पार्टी व्हिप दरकिनार कर पैसे के लिए अपना वोट बेचने को तैयार हो गए। झारखंड में इन विधायकों के खिलाफ मोर्चाबंदी शुरू हो गई है। रांची के फिरायेलाल चौक पर झारखण्ड जनाधिकार मंच ने कांग्रेस, बीजेपी और जेएमएम विधायकों के भ्रष्ट और देशद्रोही आचरण पर विरोध किया और इनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
वहीं पैसे के लिए अपना वोट बेचने के आरोपों से घिरे कांग्रेस के योगेन्द्र साहू अब स्टिंग दिखाने के बाद सफाई देते हुए इसे साजिश बताया। उन्होंने कहा कि मैंने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को ही वोट दिया। साहू ने कहा कि मैंने अपने लीडर को ही अपना वोट दिया है। साहू ने कहा कि सबसे बड़ी चीज़ ये है कि यह पैसा किसने दिया, कहां से आया। इसका प्रमाण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम इसके खिलाफ एक्शन लेने जा रहे हैं। विधायक लोग बैठ कर इसपर बात करेंगे और फैसला लेंगे। साहू ने कहा कि अगर यह सब ठीक है तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। जनता हर बात को समझती है। साहू ने कहा कि उन्हें अब ग्लानी हो रही है और इसकी जांच सीबीआई से कराने की मांग की।
दूसरी ओर झारखंड कांग्रेस के प्रभारी केशव राव ने अपने विधायक के बचाव में कहा कि इस संबंध में विधायक के खिलाफ कोई पुष्ट सबूत नहीं हैं हालांकि उन्होंने इस संबंध में कड़ी कार्रवाई की बात कहते हुए कहा कि स्टिंग में विधायक को देखकर शर्मिंदगी महसूस हो रही है। उन्होंने कहा कि झारखंड में सेकंड प्रिफरेंस वोट का सवाल ही नहीं है। कांग्रेस के 28 वोट थे और सभी कांग्रेस को मिले।
आत्महत्या कि नगरी हजारीबाग
हजारीबाग कि कहानी निराली है प्रकृति ने खूब नेमते बरसाई ,जंगल झाड ,नदी ,झरने, झील और अच्छी आबो हवा लेकिन ना जाने किसकी नज़र लग गयी ,लोग बात बात पर अपनी जान लेने लगे ,सल्फास कि गोलियां ,फासी के फंदे ,कुँए में लाश रोज अखबारों कि सुर्खियाँ बनने लगे ,मरने वालो कि उम्र का औसत १६ से ३० ,रोजाना 6 से ७ लोग यहाँ आत्महत्या का प्रयास करते हैं जिनमे औसतन ४ से ५ लोगो कि मौत हो जाती है ,
यहाँ सबसे ज्यादा मौत सल्फास कि गोली खाने से होती है , चुकी पूरा क्षेत्र किसानबाहूल है और लोग किटनाशक के रूप में सल्फास कि गोली का प्रयोग करते हैं यही वजह है कि घरो में सल्फास कि गोलिया आसानी से मिल जाती है और लोग इसे खाकर अपनी जान दे देते हैं ,चौकाने वाले तथ्य यह है कि इस सल्फास पर सरकार एक दशक पहले ही प्रतिबन्ध लगा चुकी है लेकिन हजारीबाग ही नहीं पुरे राज्य में ये बीज बेचने वालो के पास आसानी से मिल जाता है -
इस साल हजारीबाग में आत्महत्या के प्रयास और मरने वालो के आंकड़े को अगर देखे तो यह हैरान करती है जनवरी माह में ६५ लोगो ने आत्महत्या का प्रयास किया जिसमे 2६ पुरुष और ३५ महिलायों कि जान गयी इसी तरह फ़रवरी में ६० लोग कि मौत हुई,मार्च में 66 लोग ने जान दी ,अप्रैल में ५५ ,जून में ७२ और जुलाई में अब तक ६५ लोग जान दे चुके हैं ,चौकिये नहीं ये आंकड़े केवल सदर अस्पताल और हजारीबाग के आस पास के अस्पतालों से लिए गए हैं जो मामले प्रकाश में आये हैं ,कितनी खबरे तो पहुचती ही नहीं -
हजारीबाग का यह इचाक प्रखंड है यह कभी रामगढ राजा कि राजधानी हुआ करती थी , छोटे से गाँव में १०१ मंदिर १०१ तालाब और १०१ बगीचे होने के कारण लोग इसे छोटी अयोध्या भी कहते थे,आज जिले में होनी वाली आत्महत्या कि सबसे ज्यादा घटना इसी प्रखंड में होती है हमने इसके कारण जान्ने का प्रयास किया -
अगर हम यहाँ के सामाजिक कारणों को जानने का प्रयास किया कि क्यों यहाँ महिलाये या लड़कियां आत्महत्या करती हैं,जो तथ्य निकल कर आये वो चौकौने वाले हैं ,समाज में अनैतिक संबंधो या उन संबंधो के उजागर हो जाने से जो प्रताड़ना मिलती है सबसे ज्यादा आत्महत्या के कारणों में वही रहता है इचाक जैसे प्रखंडो में जागरूकता फ़ैलाने कि ज़रूरत है और समाज के सभी वर्गों से इस ओर कदम उठाने कि ज़रूरत है कि क्यों इचाक आज आत्महत्या कि नगरी बनती जा रही है स्त्रियों कि इज्ज़त और उनका सम्मान करने से ही कोई समाज आगे बढ़ता है -
Jul 22, 2010
आपनी फी जुटाने के लिए खेतो में काम
हजारीबाग से तक़रीबन २५ किलोमीटर कि दुरी पर सिमरिया मार्ग पर एक गाँव है हडियो यहाँ एक स्कूल है संत जोसेफ स्कूल ,१ से १०वी तक पढाई होती है कुल दर्जनभर शिक्षक है ४५० बच्चे इस स्कूल में अध्ययनरत हैं ,स्कूल आवासीय है और १५० बच्चे इसमें रहते हैं ,साधारण दर्जे कि फी ४० रूपये है ,लेकिन आवासीय छात्रों को २५०० रूपये सालाना के देने होते हैं ,आज के महंगाई के ज़माने में ये काफी कम है लिहाज़ा इसकी भरपाई के लिए प्रबंधन ने इस उपाय सोचा ,स्कूल के पास दस एकड़ ज़मीन है ,स्कूल प्रबंधन ने इसमें खेती करने कि सोची और इसमें मजदूरी कराया गया बच्चो से ताकि जो बच्चे गरीब है और फी देने में असमर्थ हैं उनसे फी निकली जाये बच्चे स्कूल में तो काम करते ही हैं आस पास के गाँव में भी खेतो में धान रोपने भेज दिया जाता है ताकि पैसे मिल सके ,बच्चे आस पास के गाँव से आते हैं पूरा इलाका नक्सली है ,गरीब अभिभावक के पास कोई चारा नहीं है अगर चतरा या हजारीबाग बच्चो को भेजते हैं तो काफी खर्च आएगा जो उठाना इनके लिए काफी मुस्किल है लिहाज़ा वो बच्चो को यहाँ भेजते हैं ,फिर भी कई बार अभिभावक बच्चो को यहाँ से ले जाते हैं -
यहाँ पढ़ रहे बच्चो ने भी इसे अपनी नियति मान लिया है और सादे लहजे में कहते हैं कि उनकी गरीबी इनके पढने में बाधा ना बने इसी कारण आपनी फी जुटाने के लिए वो खेतो में काम करते हैं ताकि होस्टल में दो जून कि रोटी खा सके ,हाँ दलील यह भी दी जाती है कि इससे हम अपने परम्परागत काम खेती को भी सीख सकेंगे जो बाद में हमें करना ही है
सरकार अरबो रूपये बेहतर शिक्षा के लिए खर्च कर रही है वही दूसरी तरफ हडियो का स्कूल ऐसा भी उदाहरण है जहाँ बच्चे मजदूरी कर अपनी फी चुकाते हैं ,इसके पीछे दो कारण हो सकते हैं या तो इन क्षेत्रो में सरकारी स्कूल सही तरीके से चल नहीं रहे हो या वहां के शिक्षण का स्तर अच्छा नहीं हो जिसके कारण लोग अपने बच्चो को यहाँ पढने के लिए भेजते हो ,दोनों ही कारणों में सोचने कि दरकार यहाँ के शिक्षा के अधिकारियो को है क्यों तमाम कोशिशो के बावजूद सर्व शिक्षा अभियान आम लोगो में ज़गह नहीं बना पा रहा है -
Apr 16, 2010
Durdasha ek Birhor bachhe ki ( दुर्दशा एक बिरहोर बच्चे कि )
हजारीबाग के कटकमसांडी पर्खंड का संजय बिरहोर अपनी ख़राब मानसिक स्थति के कारन पिछले २ माह से जंजीरों में कैद है,गरीबी के कारन इसके परिजन इसका इलाज करा पाने में असमर्थ है ,झारखण्ड में बिरहोर जनजाति संरक्षित जनजातियो में सुमार है ,कल्याण विभाग से हर साल करोडो रूपये कि राशी इनके विकाश के लिए आवंटित कि जाती है इस राशी का उपयोग इनके बेहतर स्वास्थय सुविधा ,आवाश ,शिक्षा ,रोजगार आदि मुलभुत सुविधायो के लिए करनी होती है , लेकिन धरातल पर यह कितना कारगर है इसका अंदाज़ा इस बच्चे कि स्थति से स्वतः लगाया जा सकता है ,इसके परिजनों ने दर्ज़नो बार प्रखंड और जिला मुख्यालयों का चक्कर लगा कर देख लिया लेकिन कही सुनवाई नहीं होती है,खुद पर्खंड विकाश पदाधिकारी डॉक्टर कि भूमिका निभाते हुए कहते हैं तुम्हारे बेटे को कुछ नहीं हुआ है यह ऐसे ही ठीक हो जायेगा , थक हार कर इनका लाल कहीं भाग ना जाये इस ख्याल से इसके कोमल पैरो में बेड़ियाँ डाल दी गयी हैं , सरकार हर दिन कहती है कि नक्सलियों के पैर पसारने का एक कारन गाँव में विकाश का नहीं होना है ,विकाश के जवाबदेही निचले स्तर पर पर्खंड विकाश पदाधिकारी कि होती है ,अगर वो अपने काम से ऐसे विमुख रहेंगे तो विकाश तो होने से रहा अलबत्ता नक्सली भोले भाले जनता को विकाश नहीं होने के नाम पर बरगलाते रहेंगे ,और उन्हें अपनी ओर आकर्षित भी करेंगे जो अब तक होता भी रहा है
Apr 10, 2010
Mar 16, 2010
Green hunt in Jharkhand (video ke liye yahan click kare...)
नक्सलियों को खदेड़ने में झारखण्ड में वैसी कंपनियों को लगाया गया है जिनका नक्सल विरोधी कार्यकर्मो में लम्बा अनुभव रहा है ,हजारीबाग के २२ बटालियन को नक्सल विरोधी अभियान के लिए इसे रास्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया जा चूका है ,इस अभियान के तहत जो क्षेत्र नक्सल प्रभावित हैं वहां बेस केम्प लगाने की तैयारी चल रही है ,पहले चरण में जिन गाँव में नक्सलियों ने प्रचार माध्यम से गाँव वालो को आकर्षित किया है उन्हें पुनः भरोसे में लिया जाना है ताकि वो नक्सल परभावित विचारधारा से हट कर मुख्यधारा में लौट सके.-
सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन तेज़ कर दिया है और इसका असर भी देखने को मिल रहा है लेकिन इन ऑपरेशन के साथ साथ ज़रूरी है वैसे कार्यक्रम चलाने की जिससे नक्सल परभावित क्षेत्रो का विकास भी साथ साथ हो ताकि उन्हें ये लगे की ये ऑपरेशन उनके भले के लिए किया जा रहा है
Feb 19, 2010
Zahar ka paudh
Feb 9, 2010
PREET KE GULAB
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