पुरानी मूर्तियाँ अनमोल होती है तस्करों की हमेशा इनपर नज़र रहती है आये दिन इनके चोरी हो जाने की घटना घटती है ,लेकिन ना तो इसपर प्रशाशन जागता है और ना ही सरकारी स्तर पर इनके संरक्षण की बात हो रही है नतीजा है बेशकीमती मूर्तियाँ लगातार गायब हो रही हैं |मूर्ति तस्करों ने हर जगह अपने कारनामे अंजाम दिया है हजारीबाग भी इससे अछुता नहीं रहा है ,हजारीबाग से २० किलोमीटर की दुरी पर बसा है इचाक प्रखंड कभी यह रामगढ राजा की राजधानी हुआ करती थी इस गाँव की खासियत थी यहाँ पाए राजा द्वारा बनाये गए १०१ खुबसूरत मंदिर ,१०१ तालाब और १०१ बाग़ ,मंदिरों की इसी बड़ी संख्या के लिए इसे छोटी काशी कहा जाता था ,धीरे धीरे समय बीतता गया ,राज पाट रहे नहीं ,मंदिरों की देखभाल नहीं हो पाई ,चोरो ने यहाँ से मूर्तियाँ चुरानी सुरु की आज हालात यह है की मात्र एक तिहाई मंदिरों में ही मूर्तियाँ बची हैं,खंडहर हो चुके इन मंदिरों की सुध लेने वाला कोई नहीं है ,लोगो ने अब इसे बचाने के लिए सरकार से इस और जल्दी कदम उठाने की मांग करने लगे हैं |
ऐसा नहीं है की केवल इचाक में ही मूर्ति चोरो ने घटना की हो हजारीबाग के नवाडीह कवातु में स्थित माँ चम्पेश्वरी देवी की मूर्ति भी चोरो ने चोरी कर ली बताया जाता है यह मूर्ति खालिस सोने की थी ,आज यहाँ मंदिर में काफी प्राचीन अष्टधातु की मूर्ति है ,कहते हैं इनके दर्शन मात्र से सारे काम हो जाते हैं ,घोर जंगल में यह मंदिर आज भी बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के बीच है ,आशंका जताई जाती है की कहीं इसपर भी चोरो की नज़र पड़ी तो सदियों पुरानी इस मूर्ति भी चोरी चली जाएगी |मंदिरों के सुरक्षा का सवाल जब स्थानीय प्रशाशन से किया जाता है तो हर मंदिरों की सुरक्षा असंभव कह इसे जन भागेदारी और सुरक्षा की ज़िम्मेदारी गाँव और कमिटी के माथे मढ़ दिया जाता है |
प्राचीन मूर्तियाँ हमारी धरोहर हैं इनसे ना केवल आस्था जुडी है बल्कि इनका अपना एक ऐतिहासिक महत्व भी है ,सबसे आश्चर्य यह है की सरकार ने अभी तक इनके संरक्षण के लिए कोई विशेष कदम नहीं उठाये हैं ,झारखण्ड सरकार अगर इनके सुरक्षा के लिए अहतियात पहले अगर करती तो रजरप्पा जैसे विस्वप्रसिध मूर्ति को आसानी से नहीं चुराया जा सकता था,स्थानीय स्तर पर भी इनका समुचित देखभाल की व्यवस्था ना होना चोरो को खुला आमंत्रण देता है |